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किसी व्यक्ति को अपने काम का फल कैसा मिलेगा, ये उसकी योग्यता पर निर्भर करता है। ये बात एक लोक कथा से समझी जा सकती है। प्रचलित कथा के अनुसार पुराने समय में खदानों के एक ठेकेदार ने तीन लोगों को काम पर रखने के लिए बुलाया।
ठेकेदार ने पहले व्यक्ति से पूछा कि तुम्हें मजदूरी में कितना पैसा चाहिए? उस व्यक्ति ने जवाब दिया कि उसे 100 रुपए चाहिए। ठेकेदार ने उसे मिट्टी खोदने के काम में लगा दिया।
दूसरे व्यक्ति से भी ठेकेदार ने यही बात पूछी। दूसरे व्यक्ति ने कहा कि उसे 300 रुपए रोज चाहिए। ठेकेदार ने उसे कोयले की खदान में काम पर लगा दिया।
अब तीसरे व्यक्ति की बारी थी। ठेकेदार ने उससे पूछा कि उसे कितनी मजदूरी चाहिए। उस व्यक्ति ने कहा कि उसे एक हजार रुपए रोज चाहिए। ठेकेदार ने उसे हीरों की खदान में काम पर लगाया।
दिनभर काम करने के बाद शाम को तीनों व्यक्ति अपनी-अपनी मजदूरी लेने पहुंचे। पहले मजदूर ने 50 तगारियां भरकर के मिट्टी निकाली। दूसरे ने 25 तगारियां कोयला निकाला और तीसरा व्यक्ति एक हीरा लेकर आया। ठेकेदार ने तीनों मजदूरों को तय की हुई मजदूरी दे दी।
पहले मजदूर ने देखा कि उसे सबसे कम पैसा मिला है तो वह विरोध करने लगा। तब ठेकेदार ने कहा कि तुम्हें वही मजदूरी दी गई है जो तुमने खुद मांगी।
हर व्यक्ति को अपनी-अपनी योग्यता के हिसाब से ही फल मिलता है। इसीलिए हमें अपनी योग्यता निखारने की कोशिश करनी चाहिए और खुद पर भरोसा बनाए रखना चाहिए।
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